भूमिका
पिछले दशक में भारत ने रक्षा उत्पादन और रक्षा निर्यात के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2013–14 में भारत का रक्षा निर्यात जहाँ मात्र ₹686 करोड़ था, वहीं 2024–25 में यह बढ़कर ₹23,622 करोड़ (US $2.7–2.8 बिलियन) तक पहुँच गया है। यह वृद्धि 11 वर्षों में 34 गुना है, जो आत्मनिर्भर भारत, मेक-इन-इंडिया और रक्षा-क्षेत्र के सुधारों का प्रत्यक्ष परिणाम है।
इसी प्रगति की सबसे बड़ी मिसाल ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली है, जिसने भारत की तकनीकी क्षमता और वैश्विक रक्षा बाज़ार में भारत की नई पहचान स्थापित की है।
ब्रह्मोस मिसाइल: भारत की सुपरसोनिक क्षमता
ब्रह्मोस क्या है?
- ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे DRDO (भारत) और NPO Mashinostroyenia (रूस) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।
- यह भूमि, समुद्र और हवा – तीनों प्लेटफॉर्म से लॉन्च की जा सकती है।
- इसकी गति लगभग Mach 2.8 है, जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज है।
- ब्रह्मोस मिसाइल के कई महत्वपूर्ण हिस्से भारत में ही निर्मित होते हैं, जिससे यह मेक-इन-इंडिया का प्रमुख उदाहरण है।
- उच्च सटीकता, विश्वसनीयता और मल्टी-प्लेटफॉर्म क्षमता इसे भारत की प्रमुख निर्यात-योग्य मिसाइल बनाती है।
ब्रह्मोस सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक क्षमता और रक्षा-औद्योगिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
भारत–इंडोनेशिया ब्रह्मोस डील क्यों चर्चा में है?
नवंबर 2025 में हुई तीसरी भारत–इंडोनेशिया रक्षा मंत्रियों की बैठक में इंडोनेशिया ने औपचारिक रूप से ब्रह्मोस खरीदने में रुचि दिखाई।
मुख्य बिंदु:
- डील की अनुमानित लागत लगभग US $450 मिलियन है।
- डील पक्की होने पर इंडोनेशिया, फिलीपींस के बाद ब्रह्मोस खरीदने वाला दूसरा देश होगा।
- दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा, रक्षा उद्योग सहयोग, साइबर सुरक्षा, आपूर्ति-श्रृंखला और संयुक्त रक्षा उत्पादन पर भी सहमति बनाई।
यह डील भारत की रक्षा-कूटनीति और निर्यात नीति का महत्वपूर्ण कदम है।
भारत के बढ़ते रक्षा निर्यात
2013–14 से 2024–25 के बीच भारत ने लगभग 34 गुना रक्षा निर्यात वृद्धि दर्ज की है।
मुख्य कारण:
- निर्यात लाइसेंस प्रक्रिया का सरलीकरण
- निजी क्षेत्र और DPSU दोनों को प्रोत्साहन
- निर्यात प्राधिकरणों में वृद्धि
- मेक-इन-इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान
आज भारत 80 से अधिक देशों को हथियार, गोला-बारूद, रक्षा प्रणालियाँ और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर उपकरण निर्यात कर रहा है।
भारत–इंडोनेशिया संबंधों का महत्व
भारत और इंडोनेशिया के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध सदियों से हैं।
पिछले कुछ वर्षों में रक्षा और समुद्री सुरक्षा सहयोग दोनों देशों की रणनीतिक प्राथमिकता बन गई है।
जनवरी 2025 में दोनों देशों ने कई क्षेत्रों—स्वास्थ्य, समुद्री सुरक्षा, आपूर्ति-श्रृंखला, रक्षा सहयोग और साइबर सुरक्षा—में समझौते किए।
इंडोनेशिया भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति में एक महत्वपूर्ण साझेदार है।
भारत के लिए ब्रह्मोस–इंडोनेशिया डील का महत्व
1. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन
इंडोनेशिया की समुद्री और तटीय सुरक्षा मजबूत होगी, जिससे क्षेत्र में भारत की रणनीतिक भूमिका बढ़ेगी।
2. भारत की रक्षा-कूटनीति को बल
विश्वसनीय और आधुनिक हथियार प्रणाली देकर भारत खुद को एक भरोसेमंद रक्षा साझेदार के रूप में स्थापित करेगा।
3. रक्षा उद्योग को आर्थिक और औद्योगिक लाभ
ब्रह्मोस जैसे निर्यात से
- R&D
- तकनीकी उन्नयन
- निवेश
- रोजगार
को बढ़ावा मिलेगा।
4. दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की उपस्थिति मजबूत
यह डील भारत को ASEAN देशों के लिए एक प्रमुख सुरक्षा और सामरिक साझेदार के रूप में स्थापित करेगी।
संभावित चुनौतियाँ
1. रूस की सहमति
ब्रह्मोस संयुक्त विकास परियोजना है, इसलिए निर्यात से पहले रूस की मंज़ूरी आवश्यक होती है।
2. भू-राजनीतिक संवेदनशीलता
हथियार निर्यात क्षेत्रीय विवाद और रणनीतिक असंतुलन पैदा कर सकते हैं, इसलिए सावधानी की आवश्यकता है।
3. लॉजिस्टिक्स और समर्थन
निर्यात के बाद
- रखरखाव
- प्रशिक्षण
- स्पेयर पार्ट्स
- सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर
भारत की विश्वसनीयता को निर्धारित करेंगे।
आगे का रास्ता
- रक्षा क्षेत्र में R&D, प्रौद्योगिकी, आपूर्ति-श्रृंखला और डिजाइन क्षमता को और मजबूत करना।
- ब्रह्मोस जैसी प्रणालियों के अधिक उन्नत और विविधीकृत संस्करण तैयार करना।
- सभी रक्षा सौदों में पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय नियमों (MTCR आदि) का पालन।
- समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और निगरानी सहयोग को बढ़ाकर रक्षा-कूटनीति को सुदृढ़ करना।
- रक्षा निर्यात को एक दीर्घकालिक और सतत उद्योग के रूप में विकसित करना।
निष्कर्ष
भारत का रक्षा निर्यात ₹686 करोड़ से बढ़कर ₹23,622 करोड़ होना भारत की तकनीकी क्षमता, रणनीतिक सोच और आत्मनिर्भरता का प्रमाण है।
ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली भारत की रक्षा शक्ति, औद्योगिक क्षमता और अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता का प्रतीक बन चुकी है।
यदि भारत-इंडोनेशिया ब्रह्मोस डील पूरी होती है, तो यह न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी भारत को नई ऊँचाई पर ले जाएगी।
निरंतर R&D, रक्षा उद्योग सुधार और ठोस कूटनीति के साथ भारत विश्व के प्रमुख रक्षा निर्यातकों में शामिल होने की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
MCQs (विकल्प सहित)
1. 2013-14 से 2024-25 के बीच भारत के रक्षा निर्यात में लगभग कितनी वृद्धि दर्ज की गई है?
A. 10 गुना
B. 20 गुना
C. 34 गुना
D. 50 गुना
2. ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम गति लगभग कितनी है?
A. Mach 1.2
B. Mach 2.8
C. Mach 4.5
D. Mach 6
3. इंडोनेशिया द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल खरीद की अनुमानित डील राशि कितनी बताई जा रही है?
A. US $ 150 million
B. US $ 300 million
C. US $ 450 million
D. US $ 900 million
4. ब्रह्मोस मिसाइल किस दो संगठनों के संयुक्त सहयोग से विकसित की गई है?
A. DRDO और NASA
B. DRDO और Roscosmos
C. DRDO और NPO Mashinostroyenia
D. HAL और Sukhoi Corporation
5. भारत-इंडोनेशिया ब्रह्मोस डील का प्रमुख रणनीतिक महत्व क्या है?
A. भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध मजबूत करना
B. भारत की इंडो-पैसिफिक में भू-रणनीतिक भूमिका को बढ़ाना
C. यूरोप में भारत के बाजार का विस्तार
D. भारत की कृषि निर्यात क्षमता बढ़ाना
उत्तर (Answers)
-
C. 34 गुना
-
B. Mach 2.8
-
C. US $ 450 million
-
C. DRDO और NPO Mashinostroyenia
-
B. भारत की इंडो-पैसिफिक में भू-रणनीतिक भूमिका को बढ़ाना
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